सुशांत सिंह राजपूत : आत्महत्या या हत्या –
एक बार ऋतिक रोशन से एक पत्रकार ने कहा की आपको तो प्यार करने वाले य़ा चाहने वाले लाखों – करोड हैं !
ऋतिक ने तपाक से कहा – ” नही , ऐसा नही है , मेरे प्रसंशक तो
एक व्यक्ति के तौर पे मुझे जानते तक नही , उनकी चाहत और प्यार उन कीरदारों के लिए है जो मैने निभाये है ”
छीछोरे फिल्म मे किसी भी स्थिती मे आत्महत्या करने के बजाये सकरात्मकता से जीवन जीने का दर्शन देने वाले सुशांत ने आत्महत्या को खुद ही गले लगा लिया !
show business की गला काट प्रतिस्पर्धा , अवसरवाद , संवेदनहींता , आर्थिकअसुरक्षा , गुमनामी का भय , इन कलाकारो
को बहुदा अकेलेपन और अवसाद से भर देता हैं !
वैसे ये समस्या हमारे समाज मे तेजी से बढ रही हैं , भारत मे बढती हुई आत्माहत्याये इसी ओर इशारा करती है ! वास्तव मे
ये एक tendency या रुझान है ज़िसकी सान्द्र अभीव्यक्ती आत्माहत्याओं के रुप मे होती है !कुल मिलाकर , समस्या हमारी समाजिक , आर्थिक बनावट मे है जो लोगो को आत्महत्या की ओर ढ़केलती हैं !
अलविदा सुशांत : सवाल ही सवाल
सुशांत की मौत की वजह –
– कोई कह रहा हैं डीप्रेशन मे थे !
-दोस्तो ने नही सम्हाला
-फिल्मे हाथ से निकल गई
– Nepotism के शिकार हुए ! outsider थे …..
……………..भारत भी अजीब मुल्क हैं ! नेता के बच्चे नेता , जज के बच्चे जज , बड़े वकील के बच्चे बडे वकील , डॉक्टर के बच्चे डॉक्टर , उद्योगपतियों के बच्चे उद्योगपती , किसान के किसान , श्रमिक के श्रमिक वैगरह -2 इस status quo को बचाने के लिए ये लोग किसी भी हद तक जाते हैं ! ….
लेकिन कोई ये सवाल नही करता विश्वास का संकट , अवसाद वैगरह हमारे समाज मे महामारी की तरह क्यू फैल
रहा है ? दोस्त -दोस्त का साथ क्यू नही दे पा रहे हैं ?
क्या व्यक्तिगत तौर पर या दोस्तो के सहारे इस प्रकार की समाजिक माहामारी से निपटा जा सकता हैं ?
भला हो सोशल मीडिया का , जो उन सवालों को सामने लाने का माध्यम बन रहा है जो इस शो बिजनेश के मठाधिशो को नंगा कर दे रहे हैं !
सुशांत के बहाने –
बस एक बात नहीं समझ में आ रही की सुशांत की आत्महत्या (हत्या ) के बाद भी थे बॉलीवुडया एक्टिविस्ट कही दिखाई नहीं पड़ रहे है | फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर राजनीति तक में अपने जौहर दिखाने वाली स्वरा भास्कर , अनुराग कश्यप और सोनम कपूर समेत तमाम ‘ एक्टिविस्ट ‘ का आज कोई अता-पता नहीं चल रहा है | अपनी इंडस्ट्री का मामला आया तो इनको साँप सूंघ गया है |………………………
……..रविश कुमार भी अवसाद और मानसिक स्वास्थ को गंभीरता से लें कहकर चलते बने |
ये माज़रा आखिर है क्या ?…………………….
इनकी चुप्पी या फिर मुख्य विंदू पर आने के बजाय ये सरकशी बंदरिया की तरह इस डाल उस डाल पर क्यों कूद रहे है ?
कहीं ये कोई गठजोड़ (NEXUS) तो नहीं ? मने की परिवार वाद , भाई -भतीजावाद , वंशवाद वालों का गठजोड़ या Nexus .
नहीं समझ आया ? अरे भाइयों, उदाहरण के लिए ( for example ) राजनीति में गाँधी परिवार , सिंधिया परिवार , लालू परिवार , वैगरह तो फिल्म इंडस्ट्री में कपूर परिवार , बच्चन परिवार , खान परिवार , अख्तर परिवार वैगरह | ऐसे ही न्याय पालिका के क्षेत्र में काटजू परिवार , खरे परिवार , प्रशांत भूषण परिवार आदि -2 |बात यहि तक होती तो गनीमत थी | गठजोड़ तो इससे भी आगे तक जाता है | कपूर और बच्चन वैगरह का गाँधी परिवार से सम्बन्ध , काटजू और खरे का गाँधी -नेहरू परिवार से सम्बन्ध …………………बजाज गोयनका , साराभाई , अंबानी, अडानी वैगरह परिवारों का बाकी राजनैतिक परिवारों से रिश्ता……………………
………………………ऐसा लगता है की इस भारत देश के शरीर को ही नहीं इसकी आत्मा को भी इन थोड़े से परिवारों ने गठजोड़ करके जकड रखा है , तभी तो स्वरा भास्कर अल्लम -गल्लम बतियाती है रविश कुमार मानसिक स्वास्थ का पाठ पढ़ाते है | महोदय इतनी सी बात आप लोग अच्छी तरह जानते है की आत्महत्याओं का बड़ा कारण शारीरिक नहीं सामाजिक विकार है |
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