एक देश दो प्रणाली( One Country Two Systems ) क्या है ?
सबसे पहले हम शुरुआत करते हांगकांग में विरोध प्रदर्शन से पिछले दस हफ्तों से हांगकांग में जो प्रदर्शन चल रहा था , उसके पीछे चीनी सरकार का एक कानून है| जिसने एक बार फिर हांगकांग में रह रहे लोकतंत्र समर्थक लोगों को चीन के खिलाफ आवाज़ उठाने का मौका दिया| दरअसल, यहां का प्रशासन एक कानून लेकर आया है जिसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति चीन में कोई अपराध करता है तो उसे जांच के लिए प्रत्यर्पित किया जा सकेगा|इससे पहले इस बिल में ये प्रावधान नहीं था, पहले ऐसा था कि अगर कोई अपराध करता है तो उसे किसी अन्य देश में प्रत्यर्पित करने की संधि नहीं थी| लेकिन बिल में संशोधन किया गया और कई देशों के साथ संधि की गई| जिनमें चीन, ताइवान, मकाऊ जैसे स्थान शामिल हैं |अब मैं आपको बताता हूँ की आखिर चीन का दखल हांगकांग में इतना क्यों है | जबकि हांगकांग की राजधानी विक्टोरिया है जो द्वीप के उत्तरी तट पर स्थित है| उसकी मुद्रा अलग है | हांगकांग डॉलर है | यहाँ तक की हांगकांग का अपना कानून और सीमाएं हैं| साथ ही खुद की विधानसभा भी है| और यही से एक देश दो प्रणाली( One Country Two Systems ) के रहस्य से पर्दा उठता है |
एक देश दो प्रणाली का इतिहास –
हॉन्गकॉन्ग और मकाउ क्रमशः ब्रिटेन और पुर्तगाल के उपनिवेश थे। वर्ष 1842 के प्रथम अफीम युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने हॉन्गकॉन्ग पर अधिकार कर लिया था। ब्रिटिश सरकार और चीन के किंग राजवंश ने पेकिंग के दूसरे कन्वेंशन पर वर्ष 1898 में हस्ताक्षर किये , जिसके अनुसार हॉन्गकॉन्ग को 99 वर्षों के लिये चीन ने लीज़ पर ब्रिटेन को दे दिया। वहीं दूसरी ओर मकाउ पर वर्ष 1557 से पुर्तगालियों का शासन था।
पुर्तगाल ने 1970 के दशक के मध्य से ही अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया था।डेंग शियाओपिंग चीन का राजनेता एवं सुधारक थे| डेंग शियाओपिंग ने 1980 के दशक से ही दोनों क्षेत्रों का हस्तांतरण चीन को करने के लिये ब्रिटेन और पुर्तगाल के साथ बातचीत शुरू की। बातचीत के दौरान ही चीन ने एक देश दो प्रणाली के तहत इन क्षेत्रों की स्वायत्तता का सम्मान करने का वादा किया था।
चीन और ब्रिटेन के बीच संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर-
चीन और ब्रिटेन के बीच 19 दिसंबर, 1984 को बीजिंग में चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे, जिसके तहत हॉन्गकॉन्ग हेतु वर्ष 1997 से कानूनी, आर्थिक और सरकारी प्रणालियों में स्वायत्तता का निर्धारण किया गया था।इसी तरह 26 मार्च, 1987 को चीन और पुर्तगाल ने मकाउ के प्रश्न पर संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किये, जिसमें चीन ने मकाउ को भी हॉन्गकॉन्ग की भांँति स्वायत्तता देनी की बात कही थी|
उपरोक्त दो अनुबंधों के बाद एक देश दो प्रणाली ( One Country Two Systems ) की नीति को व्यावहारिक स्तर पर लागू किया गया था।1 जुलाई, 1997 को हॉन्गकॉन्ग और 20 दिसंबर, 1999 को मकाउ चीनी नियंत्रण में आ गए। चीन ने दोनों देशों को विशेष प्रशासनिक क्षेत्र घोषित किया।इस प्रकार इन देशों की अपनी मुद्राएँ, आर्थिक और कानूनी प्रणालियांँ होंगी, लेकिन रक्षा तथा विदेशी कूटनीति चीन द्वारा तय की जाएगी।
विरोध के बाद कानून वापस –
इसके तहत 50 वर्षों के लिये एक मिनी संविधान बनाया गया जो हॉन्गकॉन्ग हेतु वर्ष 2047 तक और मकाउ के लिये वर्ष 2049 तक वैध होगा। इस समयावधि के बाद की संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट नहीं किया गया है। हांगकांग के लोग इस लिए प्रदर्शन कर रहे थे | की इस प्रकार के प्रत्यर्पण समझौते से चीन, हॉन्गकॉन्ग से किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित कर सकता है जो सीधे-सीधे यहाँ की स्वायत्तता पर हमला होगा इसका विरोध हॉन्गकॉन्ग में बड़े स्तर पर हो रहा है।वर्तमान में विरोध के बाद इस समझौते के मसौदे को वापस ले लिया है लेकिन गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को रिहा करने और शहर की चुनावी प्रणाली में सुधार हेतु अभी प्रदर्शन जारी हैं।
आप इसे पढ़ना भी पसंद कर सकते हैं:-पाकिस्तान के रिहाइशी इलाके में क्यों गिरा पाकिस्तानी विमान ?