एयरप्लेन की खिड़की चौकोर होने के कारण झेलनी पड़ी दुर्घटना –
एयरप्लेन में कुछ लोग चढ़े होंगे कुछ लोग नहीं भी चढ़े होंगे लेकिन गौर करने वाली ये बात है की प्लेन की खिड़किया है जो गोल ही होती है आखिर चौकोर क्यों नहीं हो सकती है | पहले एयरप्लेन की खिड़खिया चौकोर हुआ करती थी लेकिन 1954 दो विमान दुर्घटना हुई दोनों ही विमान ब्रिटिश ओवरसीज एयरवेज कारपोरेशन के थे एक फ्लाइट नंबर -781 था जिनकी वजह वायुयान की खिडकीयों का चौकोर होना पाया गया क्योंकि चौकोर होने के कारण खिडकीयों में चार कोने बन जाते थे जहा हवा रूक जाती और वह प्रेशर पडने की वजह से टूट जाते थे इसी कारण खिडकीयों को गोल बनाया गया जिसकी वजह से प्रेशर वितरित हो जाता है और दुर्घटना होने की संभावना कम हो जाती है|इस दुर्घटना में कम से कम भी 56 लोग की जान चली गयी थी |
आये समझते है की चौकोर खिड़की पे प्रेशर क्यों ज्यादा पड़ता है-
एयरप्लेन बहुत ऊचाई पे उड़ते है वही ऑक्सीजन की कमी और प्रेशर बहुत ज्यादा होता है और इसलिए एयरप्लेन को ऐसे डिज़ाइन ही किया जाता है जिससे कम से कम प्रेशर झेलना पड़े | जब खिड़की चौकोर होगी तो उसके कोनो पे 90 डिग्री का कोण बनाएगी | वही गोल होगी तो 90 डिग्री का कोण नहीं बनाएगी |और गोल में प्रेशर वितरित हो जाता है जबकि चौकोर में ये वितरित नहीं होता है |
इसलिए विमान को ऐसे ही डिज़ाइन किया है जाता है जिससे कम से कम दुर्घटना हो | हवाई सफर ने लोगों की जिंदगी को बेहद असान बना दिया है। कम समय में लम्बी दूरी तय करने वाले ये हवाई जहाज़ वक्त के साथ बदलते रहे हैं।अब हाल ही इसरो ने हाइपरसॉनिक इंजन की भी टेस्टिंग की है जो की ध्वनि से 7 गुना तेज़ चल सकते है |
आप इसे पढ़ना भी पसंद कर सकते है:-आये जानते है मारिजुआना (ड्रग्स) क्या बला है ?