टाटा कंपनी और लेडी मेहरबाई –
टाटा कंपनी के सभी बिज़नेस से आप वाकिफ ही होंगे आप लोग। कौन इन्हे नहीं जनता इतने अरबों रुपयों की कंपनी के बारे में सबको पता है।इसलिए आप इस सोच में भी पड़ गये होंगे।वो कैसी महिला होगी जिसने आर्थिक मदद की वो टाटा जैसी कंपनी की। लेकिन एक समय ऐसा भी था अरबों ख़रबों का धान धर्म कर चुकी ये कंपनी भी बुरे दौर से गुज़री थी, जब ये कंपनी आर्थिक रूप से कंगाल हो गई थी।ऐसे में एक महिला थीं,जिन्होंने इस कंपनी को आर्थिक तंगी से बचाकर दोबारा उभारा था।
उन महिला का नाम लेडी मेहरबाई टाटा था। ये बहुत कम लोगो को पता होगा की इन्हे भारतीय नारीवाद के प्रतीकों के रूप में माना जाता है। टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष सर दोराबजी टाटा की पत्नी मेहरबाई अपने समय से काफी आगे थी। उन्होंने न सिर्फ बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि कई सामाजिक कार्य किए। जमशेदपुर में आप मेहरबाई कैंसर अस्पताल जाएं या फिर सर दोराबजी टाटा पार्क, मेहरबाई से जुड़ी कई यादें ताजा हो जाएंगी।
मेहरबाई अपने हीरो को गिरवी रख के बचाई थी टाटा की साख –
मेहरबाई के बारे में कई ऐसी कहानियां है, जो आपके दिल को छू जाएगी। मेहरबाई के पास एक खूबसूरत हीरा हुआ करता था।245 कैरेट का जुबिली हीरा प्रसिद्ध कोहिनूर से दोगुना बड़ा था और यह तोहफा उन्हें अपने पति सर दोराबजी टाटा से मिला था।विशेष प्लेटिनम चेन में लगी यह हीरा देख सभी चकित हो जाते थे।लेडी मेहरबाई टाटा इसे विशेष आयोजनों में पहना करती थी।1900 के दशक में इसकी क़ीमत लगभग 1,00,000 पाउंड थी।ये बेशक़ीमती हार लेडी मेहरबाई किसी स्पेशल मौक़ों पर ही पहनते थीं, लेकिन साल 1924 में परिस्थितियों ने ऐसी करवट लीं कि लेडी मेहरबाई ने इसे गिरवी रखने का फ़ैसला किया।
उस समय टाटा स्टील आर्थिक संकट के चलते अपने कंपनी के कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ हो गई थी, तभी लेडी मेहरबाई कंपनी और टाटा परिवार के सम्मान को बचाने के लिए आगे आईं।उन्होंने टाटा कंपनी के कर्मचारी और कंपनी को बचाने के लिए जुबली डायमंड सहित अपनी पूरी निजी संपत्ति इम्पीरियल बैंक को गिरवी रख दी ताकि टाटा स्टील को बचाने के लिए फ़ंड जुट सके।काफ़ी लंबे समय के बाद, कंपनी ने रिटर्न देना शुरू किया और स्थिति में सुधार आने लगा। इतनी परेशानियों के बाद भी एक भी कर्मचारियों की चटनी नहीं करी गयी। तो ऐसी थी मेहरबाई टाटा।
कैसी थी मेहरबाई टाटा-
टाटा समूह के अनुसार लेडी मेहरबाई टाटा टेनिस में इतनी माहिर थीं कि उन्होंने टेनिस टूर्नामेंट में 60 से अधिक पुरस्कार जीते थे ।इसके अलावा ओलंपिक टेनिस खेलने वाली भी वो पहली भारतीय महिला थीं उनके बारे में दिलचस्प बात ये है कि वो सारे टेनिस मैच पारसी साड़ी पहनकर खेलती थीं।अक्सर उन्हें और उनके पति को विंबलडन के सेंटर कोर्ट में टेनिस मैच देखते हुए देखा जाता था। लेडी मेहरबाई टाटा उन लोगों में से एक थीं, जिनसे 1929 में पारित शारदा अधिनियम या बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम के लिए परामर्श किया गया था। वैसे तो उनके अंदर ढेरों खूबियां थी।लेकिन उन्होंने उस समय के समाज को भी दिखा दिया था की महिलाये क्या कुछ नहीं कर सकती है।अगर हमारे आर्टिकल आपको पसंद आये तो हमे अपने प्यार से नवाजे।
आप इसे पढ़ना भी पसंद कर सकते है:-Logo :बड़े ब्रांड के logo का क्या मतलब होता है –