पैसा :बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रूपया –
पैसा या करेंसी जिसके लिए आजकल लोग पागल है सबको ये चाहिए |कई लोग इसके बारे में जागते -उठते सोचते है | यही है जो जलन लाता यही है जिसके लिए लोग कई हद तक भी जाते है | इससे ही आप आज के दौर में कुछ भी खरीद सकते है |कोई भी सपना पूरा कर सकते है |सब लोग इसको ज्यादा से ज्यादा कमाना चाहते है | यही मोह है और यही माया है | आज हम इसके इतिहास के बारे में आपको बताते है | कुछ नया आपको समझाते है |
रत्न से हुई कैसे शुरुआत-
करेंसी के रूप में सबसे पहले जो चीज नेचर में आयी वो रत्न ही थे |पहला प्रयोग जो रत्नो को करेंसी के रूप में हुआ वो समय 1200 बी.सी.ई का था |रत्नो को इसलिए चुना गया था की ये सब सामान साइज के होते थे |और छोटे और ज्यादा दिन तक चलने वाले थे |ये रत्न घोंघे दवरा तटीय जल में पैदा होता था |व्यपार को बढ़ाने के लिए योरोपियन देशों के लोग इन रत्नो का प्रयोग करते थे |इस दौर में ही फिजी के लोग व्हले के दन्त को भी करेंसी के रूप में प्रयोग करते थे |चूना पत्थर का भी प्रयोग कई लोग उस समय करेंसी के लिए करते थे |
सिक्के जारी करने वाला राजा-
पहले के दौर में जालसाजी भी मनी या करेंसी का महत्व बढ़ा है |क्योकि कोई एक्यूरेट व्यवस्था न होने से समस्या बढ़ी है |फिर आयी बारी कोइंस (सिक्के ) की बारी लेकिन कोई भी सिक्का इतना प्रभावी नहीं रहा |इतिहास विद्यानों का माना है सबसे पहले टर्की के राजा ने ही अपने यहाँ सिक्के सबसे पहले जारी किया था |ऐसे ही दौर में चाँदी और सोने के सिक्के का प्रदर्शन हुआ |कई राजा अपने यहाँ ऐसे ही मिलते -जुलते सिक्के जारी किये थे |
भारतीय करेंसी के बारे में ये बात भी जान लेते हैं कि इतिहासकार विशेषज्ञों के अनुसार रुपए शब्द का प्रथम प्रयोग शेरशाह सूरी ने 1545 लेकर 1540 के अंतराल में किया था| शेरशाह सूरी ने अच्छी अर्थव्यवस्था एवं अच्छे शासनकाल को और भी बेहतर रूप से सुचारू करने के लिए रुपए का चलन शुरू किया था और उसने रुपए को सबसे पहले सिक्कों के रूप में चलाने का आदेश दिया था|शेरशाह सूरी ने सिक्कों को चांदी, सोने एवं तांबे की धातु का प्रयोग सिक्के को बनवाने के लिए किया था. हम आपको बता दें कि उस दौरान उसके चलाए गए सिक्कों का दाम और मोहर के नाम से भी लोग कह कर उसके चलाए गए सिक्के से व्यापार किया करते थे|
पेपर मनी और कागज़ी नोट सबसे पहले शुरुआत –
पेपर मनी या कागज़ी नोट की शुरुआत चीन से हुई |जब चीन में ज़हेनजोंग सम्राज्य था तभी पेपर मनी की शुरुआत हुई थी |ये सहतूत के पेड़ से बने कागज़ों का प्रयोग होता था |18 वी और 19वी शदी में फिर ये पेपर मनी सब जगह फ़ैल गयी है |वास्तविक रूप से हमारे देश में कागजी नोटों का चलन 1770 ईस्वी से हुआ था और इसे पहली बार बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने जारी किया था| परंतु जब भारत पर ब्रिटिश शासन काल चल रहा था, तो उस दौरान भी पहली बार 1917 में ब्रिटिश शासन द्वारा कागज की नोट जारी किए गए थे| महाराष्ट्र के नासिक में हमारे देश के आजादी से पहले 1926 को रुपए को कागजी रूप में बैंक द्वारा छापने की अनुमति दे दी गई थी|
आप इसे पढ़ना भी पसंद कर सकते है:-सीरम इंस्टिट्यूट: कोरोना की पहली दवा बनाने वाली भारतीय कंपनी ?