मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
मकर संक्रांति को लोग कई नामों से जानते है | इस पर्व को लोग ‘ खिचड़ी ‘ भी कहते है और तो और पंजाब में इसे लोहिड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है | इस दिन लोग मक्के की रोटी और सरसो का साग खाने का भी प्रचलन है | इस पर्व का बहुत महत्व है हमारे देश में कई -कई जगह कई -कई नामो से जाना जाता है | लोग कहते है इसी दिन से अच्छा दिन शुरू होता है | पहले के लोगों का मानना था की १४ दिसंबर से लेकर १४ जनवरी तक पुरे एक माह तक ख़राब दिन होता है और इस दिन लोग कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते है | इसे खरमास का दिन भी कहते है |आखिर ये पर्व क्यों मनाया जाता है ये जान लेते है |
मकर संक्रांति
इस दिन सूर्य मकर राशि पे आता है | इसका मतलब है इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर -मकर राशि में प्रवेश करता है | ये पर्व जनवरी माह के १४वे या १५वे दिन पड़ता है |तमिलनाडू राज्य में इस पर्व को पोंगल नाम से जाना जाता है | केरल और कर्नाटक में इस पर्व को संक्रांति के नाम से जाना जाता है | उत्तरप्रदेश पे ये पर्व दान का पर्व है | प्रयागराज में इस पर्व के दिन ही माघ मेला लगता है जो की एक माह तक चलता है | जो गंगा -यमुना -सरस्वती के संगम तट पर लगता है | शास्त्रों के अनुसार दक्षिणाऱ्यान के देवताओं को रात्रि नकारात्मक का प्रतीक और उत्तरायण को दिन इसका मतलब सकरात्मक का प्रतीक माना जाता था | और ये भी कहा गया था की इस दिन दान देने से वो 100 गुना होकर लौटता है | इसलिए इस दिन जप -तप -दान -स्नान -श्राद्ध -तर्पण आदि का विशेष महत्व है |इस दिन गंगा स्नान और गंगा तट पे दान का पर्व है | और ये बहुत ही सुभ माना जाता है | मकर संक्रांति को सूर्य की गति को आधार मानकर निर्धारित किया गया है जबकि भारतीय पंचांग में चन्द्रमा को गति को आधार मानकर सब निर्धारित किया गया | ऐसा लोगों का मानना है की इस दिन भास्कर जी अपने पुत्र से शनि से मिलने स्वम उनके घर गए थे क्योकि शनि मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति मनाया जाता है | हमारी तरफ से आप सभी को मकर संक्रांति की बहुत -बहुत शुभ कामनाये |